Wednesday, April 1, 2009


मीडिया का देशद्रोह

आज मजबूर होकर मीडिया के बारे मैं लिखने का मन किया। अन्यथा हिन्दुओ पर ही इतने अत्याचार होरहे है की उन्ही को देख देख कर दुःख होता है। परन्तु इस भारतीय मीडिया का हम पर जले पर नमक छिड़कना कतई गवारा नहीं, तभी सोचा इस मीडिया की सचाई भी कहीं उजागर हो रही है या नहीं. इस बिकाऊ मीडिया का इस तरहा का घिनौना रूप देख कर हर कोई दांतों तले ऊँगली दबा ले.
  • अब याद करे एन डी एया की सरकार इस मीडिया ने छदम रूप से (तहलका) दुश्चक्र चलाकर विहू रचना रच कर एक अच्छे खासी चलती सरकार को बदनाम किया गया। उस सरकार को एक जाल मैं फंसा कर बदनाम किया. क्या हुआ उसका परिणाम बस तहलका एक मोहरा बन कर पैसा कमा कर साइड होगया। और आनंद ले रहे यह लोग।
  • दूसरा मीडिया ने कंधार कांड मैं सारा वो ही काम किया जिस से सरकार को आतंकवादियों को लाभ मिले। मीडिया ने आतंकवादियो के एजेंट का काम किया। जब तक आतंकवादी अफगानिस्तान नहीं चले गए सरकार पर दबाव बनाये ही रखा। और जब चले गए तब सरकार की एसी की तेसी अब तक कर रही है। और जनता ने सजा भी इनको दे दी चुनाव हरा कर पर एक ही बात पर मीडिया आज तक लाखो बार मुर्दे मुद्दे पर एक हीआदमी को बार बार फंसी दे रही है।
  • तीसरा सरकार एन डी एया की जब तक रही तब तक हर रोज संघ, विहिप और बजरंग दल की रोज नई कहानी सिल सिलेवार दिखाई गई।
  • चोथा रोजाना सरकार की बखिया उधेडी जाती थी कभी अडवाणी और अटल जी के बीच जंग और कभी ममता समता और जया के बीच। और कुछ नहीं मिला तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू को पैसे लेते टीवी पर दिखाया गया. और कुछ नहीं तो जूदावे जी का स्टिंग ओपरेशन दिखाया। मतलब एन डी अ की सरकार के छह सालो मैं स्टिंग ओप्रशनो की बाड़ आगई थी. मीडिया ने स्टिंग ओप्रशनो के जरिया हर रोज सरकार की बखिया उधेडी रोज झूटे आरोप लगे.
    और हम इस को माफ़ करते रहे की चलो विपक्ष की भूमिका मैं इस बार मीडिया है. विपक्ष कमजोर हैं इसलिय जनता के हित मैं मीडिया यह काम कर रही है.परन्तु मैं गलत था.मीडिया सरकार की बुराई नहीं कर रही थी मीडिया तो सोनिया, कोमुनिसटों और विदेशी ताकतों के एजेंट का काम कर रही थी. क्यांकि सरकार जाने के बाद भी सिर्फ और सिर्फ हिन्दू संघटन और बीजेपी ही नज़र आई
अब मीडिया का रोल यु पि एया के शासन मैं देखो।
  • राहुल गाँधी ने अमठी मैं कांड किया जिसका की अभिषक मनुसिंघवी ने अमरीका मैं ऍफ़ आई आर दर्ज करा रखी है. परन्तु मजाल है अंतरअष्ट्रीया मीडिया के लाख लिखने पर भी पुरे हिंदुस्तान की मीडिया ने एक लाइन भी लिखी हो. बुरे मैं तो छोडो अच्छे मैं भी जीकर नहीं किया. और वरुण गाँधी के बारे मैं रोज २४ मैं से २३ घंटे एक मात्र वरुण गाँधी को लानत भेजना है. क्योंकि विपक्ष मैं हैं, हिन्दू है।
  • एक स्टिंग ओपरेशन पिछले पञ्च साल मैं नहीं हुआ। पता नहीं तहलका के जाबांज पत्रकार कहां मर्दानगी दिखा रहे है या बीजेपी की सरकार निश्चित मान कर स्टिंग ओपरेशन की तयारी कर रहे है. तरुण तेज पाल का तेज और तरुनाई अब दोनों ही गायब है. उस समय तो ब्लड प्रेशर भी बढ़ रहा था और जौर्नालिसम की नातिकता पर भी बहुत प्रवचन कर रहा था परन्तु अब इसी नातिकता याद नहीं। इस कांग्रेस शासन मैं कांग्रेस ने मीडिया की भी राजनितिक मुद्दों का तो जिक्र ही नहीं करने दिया। लगता है की इन लोगो के मुह भर दिया गए थे जबी तो इतने बड़े बड़े कांड होते हुए भी कोई लडाई की मीडिया मैं खबर नहीं दी परन्तु बीजेपी के शासन मैं अटल अडवाणी जी की हर रोज नई स्टोरी दिखाई गई चाहे झूठीही क्यो न हो इस मीडिया ने.
  • उस बीजेपी की शासन मैं झूटे घोटाले कफ़न घोटाला,
  • तहलका कांड रचा गया
  • परन्तु इस कांग्रेस सोनिया राज मैं सच्चा वोट नोट कांड हुआ इस्रेअल हतियार घोटाला,
  • गेहूं घोटाला,
  • रेल घोटाला,
  • लालू जमीन घोटाला,
  • क्वात्रोची भगाओ कांड,
  • सुखराम कांड,
  • बी आर टी घोटाला,
  • सब्सिडी घोटाला परन्तु मीडिया ने इनकी जानकारी नहीं जनता को दी बस दिखाया तो साँप नागन, भूत प्रेत, ई पि एल का शो
  • और फ़िल्मी कलिया ही खिलाती रही।
  • सोनिया मनमोहन कृष्ण सुदामा लगते रहे
  • राहुल प्रियंका आँखों के दो नूर लगते।
  • यु पी एया का झगडा प्यार भरी मनुहार लगती रही।
  • कोम्निस्टओ का सरकारछोड़ना प्रियतमा का रूटना लगता रहा।
  • लालू की बेटी के साथ पढने वाला अभिषेक (हत्या का संदेह) एक हादसा ही लगा रहा।
  • सोनिया त्याग की देवी और अडवाणी इनको फूटी आंख नहीं भाया।
  • सरकार कांग्रेस और घटकों की परन्तु स्टिंग ओपरेशन बचारे संजय जोशी का. जो की जनता के लिया बिलकुल अनजान चेहरा (परन्तु मीडिया का तो भाड़े पर काम था )

यह तो बहुत लम्बी फहरिस्त होजयगी।

सवाल यह है की मीडिया कांग्रेस के शासन मैं उठा क्या रही थी -

  • अडवाणी का पाकिस्तान मैं जिन्ना पर बयान।
  • राजनाथ और अडवाणी का (झूठा ही सही)
  • मोदी का जलता गुजरात।
  • हिन्दुओ का कंधमाल मैं पर्दर्शन दिखाया परन्तु स्वामी जी की हत्या और इसईओ का हिंसा का तांडव नहीं दिखा
    राम सेतु है ही नहीं, अमरनाथ है ही नहीं
  • बाबु बजरंगी ही देश का कोई बहुत बड़ा नेता है जो उसी के बयान दिखा ते रहे।
  • जम्मू पर हिन्दुओ का जलूस अत्याचार बताया गया और श्रीनगर मैं हिंसा का नंगा नाच नहीं दिखा.
  • उमा का अडवाणीजी को मीडिया के सामने आरोपित।

ऐसी ही लाखो घटनाओ का जिक्र नहीं था, सरकार ने पांच साल शासन किया है परन्तु सरकार के विरुद्ध एक भी टिप्पणी नहीं किसी भी समाचार पत्र या चैनल मैं. न कोई आन्दोलन। न कोई अभियान। है तो बस कांग्रेस सरकार की चटोकारिता और त्याग की देवी का महिमा मंडन.
हाँ अभी स्टोरी ख़तम नहीं याद रखो यदि बीजेपी की सरकार आगई तो अब आप फिर से नाग नगन और भूत प्रेत और हीरो हेरोइन नहीं देख पायंगे सारी की सारी मीडिया तुंरत राजनीती के केंद्र मैं आकर फिर से आम आदमी के मुद्दे यानि की बीजेपी हिन्दू विरोध उठआयगी जैसे -

  • नीतिश और अडवाणी का टकराओ।शरद यादव का अडवाणी से झगडानए संघचालक भगवत जी और सरकार से टकराओ।हिन्दू संघटनओ का मुस्लिमो पर अत्याचार।,बीजेपी का हिन्दू हितों पर जेडीयू से टकराओ।,राजनाथ मोदी और जेटली मैं कल्हे, अडवाणी जी संघ के विरोध मैं बोले।वरुण बीजेपी के लिय भस्मासुर, मोदी की अडवाणी जी से नाराजगी, संघ भारत को कैसे हिन्दू राष्ट्र बना रहा है।,जोशी जी संघ के साथ पर अडवाणी जी से मतभेद)
  • तो कुछ कुछ इस प्रकार की ही रिपोर्टिंग माने आप की होगी ही। सोनिया राज मैं पांच साल आपने न्यूज़ चैनल मनोरंजन चैनल बने रहे और अब फिर दोबारा से बीजेपी के सरकार बना लेने से दोबारा राजनेतिक न्यूज़ ही देंगा अच्छा अब फिर आप इनसे कहोगे की इस प्रकार की एक तरफा न्यूज़ ही क्यों दिखा रहे हो तो जवाब देंगे की पहेले आप लोगो की आलोचना करने पर ही तो हम राजनेतिक न्यूज़ दिखा रहे हैं और आप फिर से हम न्यूज़ चनलो की आलोचना कर रहे हो.

तो दोस्तों इस साजिश को समझे और भारत की इस बिकाऊ नाटक अपने पटाक्षेप करे नहीं तो दलाल संस्कृति न केवाल राष्ट्र को बल्कि आपके घर को भी निगल जायगी. बीजेपी की सरकार बन ने पर आप पूरी तरेह से इस नंगे परन्तु सचे नाच को देख सकते है।

परन्तु दुःख के साथ कहना पड़ता है की तबआप नाग नागन और भूत प्रेत की कहानी नहीं देख पाएंगे देखेंगे तो बस हिन्दू परिवार(संघ परिवार) की हर व्यक्तिगत बात अपने ही (सेल्फ मेड) स्टिंग ओपरेशन. तो तैयार रहे स्टिंग ओपरेशन देखने को और मीडिया के वीर फौजियो vir faujio की ललकार को suneneसुनने को जो पिछले पांच सालो अपने नही सुनी थी क्योंकि पुराने पैसे पर पलकर आराम कर रहे थे जो अब तैयार है. यह देशद्रोह नहीं तो क्या है???????????????


वरुण गाँधी का मतलब?

दोस्तों मैं वरुण गाँधी को फालतू मैं भाव देने को तो कतई तैयार नहीं. परन्तु वरुण ने वो काम किया है जिसको होना ही था. पिछले १००० वर्षो का गुबार है ये. कांग्रेस ने इसी गुबार को कभी निकल ने नहीं दिया. ऐसा भी नहीं की गाँधी परिवार मैं सभी इसी प्रकार के राहुल बाबा ब्रांड ही पैदा हुए है। नहीं. परन्तु क्या है की वरुण इस स्वतंत्र देश मैं गाँधी परिवार का पहला ग्रेजुअट है. उसकी स्वतंत्र सोच है और उनकी स्वाभाविक अभिवियक्ति है. अभी ये असर तो संघ का है परन्तु एसा बोला तो लोग संघ को कटघरे मैं खडा कर देंगे. संघ ने दुनिया मैं हिन्दुओ को अभिवियक्ति की तमीज़ सिखाई है. 
संघ ने कहा है हिन्दू का मतलब गाँधी नहीं हिन्दू का मतलब चाणक्य, शिवाजी, राणा सांगा और परशुराम भी है
अधिकार मांगने और अत्याचार का प्रतिकार करना गाँधी पर थूकना नहीं है।
बल्कि समय रहेते चेतना है. वरुण ने वोही कहा जो इस हिंदुस्तान का गली गली का बच्चा मुस्लिम अत्याचार से तड़प तड़प कर बोल नहीं पता। डर से हिन्दू होने पर कसमसा कर रहे जाता है। वरुण ने अच्छा बोला किसे है उसने मुस्लिम गुंडों को ललकारा था। जो किसी हिंदुस्तान के सगे नहीं हैं। उस बात को मीडिया ने मुस्लिमो पर हमला प्रचारित किया। अब हलाकि वरुण ने केवल अपने लोगो को डरने ना देनेका होसला ही दिया था परन्तु मीडिया ने उसके गले मैं सम्पूर्ण मुस्लिम पर हमला का ढोल बांध दिया और फिर क्या था अब बंध ही गया तो बजाना तो पड़ेगा ही।
ये वरुण वो ही है जिसने एक बार संघ सभा मैं ध्वज प्रणाम करने पर हाथ नहीं उठाया था जब इसी दो पैसे की मीडिया ने इस को गाँधी परिवार के संस्कार कहा था। परन्तु अब इस को संघ विचारधारा कह रही है. मीडिया के जानकारी के लिया बता दू न तो पहेला वाला सच था और न अब ही है. संघ इस नोटंकी मैं नहीं , नहीं तो प्रथम सरसंघ चालक स्वम्भू बन जाते. परन्तु इस रंगीन बकरी मीडिया को इस बात मैं कोई रूचि नहीं है. रूचि है तो कोई अदाकार गरभवती हुई है की नहीं, अमिताब ने आज दाढ़ी बने है की नहीं, शाहरुख़ ने सलमान को कितनी नीचता से कुता कहा. इसकी तो रूचि इसी मैं है।
एसा भी नहीं वरुण ने कोई नई बात कह दी हो हमारे आदित्य नाथ, बाला साहिब तो कह ते ही रहते है. हा गाँधी परिवार मैं नपुंसकता की परम्परा तोड़ने वाला कोई वीर निकला तो वो वरुण ही है.
और नापुंसको की जमात को येही पसंद नहीं आया. क्योंकि अपनी नपुंसकता छुपानेको गाँधी का असारा ही तो मिलता है. और इसी प्रकार यदि गाँधी परिवार मैं वीर्यवान लोग पैदा होने लगे तो नापुंसको का क्या होगा. बस बस यही एक मात्र चिंता का कारण है जो इस बचारे वरुण को पानी पी पी कर कोस रहे है. कुछ लोगो ने तो इनको सेरे आम फँसी पर चडाने की गुजारिश की है. जितने भी नपुंसक अपनी नपुंसकता को गाँधी का चोल उढा रखे थे अब तो नपुंसकता के साथ साथ नंगापन भी दिखने का खतरा होगया है. इसी कारण से लोग इस वरुण के पीछे है और देखिया जिसकी माँ कुते, बन्दर, और न जाने क्या क्या बचाती फिरती है और मीडिया उसकी इस बात के लिया थर्ड पेज बुक रखती है. मीडिया मैं जय जय कार होती है अब उसीके बेटे नई हिन्दू नामक विलुप्त होती प्रजाति को बचने के लिए कहा तो भैंस की तरफ लठ ले लिया
वरुण ने अपने बाप के ही डीएनए का साबुत दिया है।
बाप आज से तीस साल पहेला ही इन को ललकार चूका था. परन्तु विधि का विधान (जो की संधिअस्पद है) ने कालकलवित होगया. हा वरुण के समकक्ष उसी से १० साल बड़े राहुल बाबा हिंदुस्तान का इतिहास बड़े ही हास्यापद तरीके से बताते है और सिर्फ भारत खोज कर रहे है. जब की प्रियंक अपनी तताकथित छवि (इंद्रा गाँधी जैसी) होने का ढोंग करते हुए गीता पड़ने की धमकाने के अंदाज़ मैं बोलती है. इस प्रियंका को याद नहीं जब स्वर्गीय राजीव जी ने ५००० सिख हिन्दू मरने पर गीता याद नहीं की थी।
वरुण ने जो कहा वो पूरा हिंदुस्तान कहेना चाहता है. वरुण जो बोला वो हिंदुस्तान का हर हिन्दू बोलना चाहता है. वरुण ने सबक सिखाने की बात कही जो पूरा हिंदुस्तान कहना चाहता है. वरुण जो बोला वो संघ ८० साल से कहना चाहता है. परन्तु संघ यह नहीं कहता की सब को मार दो. संघ तो हिन्दुओ के मुह मैं जबान देता है की प्रतिकार कर नहीं तो एक विलुप्त जाती बन जाओगे. यदि प्रतिकार नहीं करोगे तो ये नेस्तनाबूद हो जाओ गे और यदि प्रतिक्रिया करना जो वरुण ने की गलत है तो हिंदुस्तान का हर तरुण गलत है. भारत की राष्ट्रपति जो शिव सेना के सहयोग से राष्तेर्पति बनी है वो भी गलत है. उनेह भी इस्तीफा दे कर अलग हो जाना चाहिय क्योंकि उसी शिव सेना के बाल ठाकरे ने वरुण को सच बोलने के लिया बधाई दी. और यदि भारत की राष्ट्रपति इस्तीफा नहीं देती और वो सही है तो फिर हर वरुण और आदित्य नाथ सही है. तो फिर मुसलमानों का संकरक्षक मनमोहन गलत है. तो फिर उसकी सरकार को उठा कर फेंक देना चाहिय. और यदि यही करना है तो लोकतान्त्रिक तरीके से वरुण, बीजेपी यही तो कर रही है. तो फिर भारत की राष्ट्रपति के नौकर चुनाव आयोग के चावला भारत के राष्ट्रपति की आज्ञा का उलंघन कर रहे है. तो फिर वरुण क्या कर रहा है वो तो राष्ट्रपति जी की ही तरहे उन्ही के पदचिन्हों पर चल कर हिन्दुओ का नेतरेतेव कर रहा है. जो की कदापि भी आस्वेधानिक नहीं है
वरुण तो एक झलक है हिंदुस्तान की तरुनाई तो अब अंगडाई लेगी ही. तो वीर्यवान भारत की पहेली अंगडाई को मेरी बधाई.

Tuesday, March 10, 2009

आज हिन्दू कमजोर और असह्य क्यों ?

कभी कभी सोचता हूँ की हिन्दू कमजोर क्यों है. तो बड़ा ही आश्चर्यजनक विश्लेषण मिला. मेरी नज़र से हिन्दू के कमज़ोर होने मैं उसकी मानसिकता का योगदान ही रहा है. परन्तु इस प्रशन का उत्तर मैं भी नही दूंढ पाया की पिछले १००० वर्षो से हिन्दुओ का इसका शोषण क्यो। परन्तु इन कम्जोरियो को दूर करने मैं कोई भी कोशिश नहीं हुई है. मनीषियों ने हमे हमारी कमियो को बताया है. परन्तु हम लगातार कमज़ोर होते गए और जा रहे है। मेरे मित्र इस चर्चा को आगे बढा सकते है अपनी टिप्न्नियो और सलाह से अपना इस विषय को आगे बढा सकते है। उनका स्वागत है.अब आते है एसे कारणों पर जिन से हम हिंदो कमजोर हुए है.
  • स्वर्पर्थम तो यह है की हम ने अपने नाखून और दांत गिरवी रख दिया है। हम कहेने को तो शेर है परन्तु अपने नाखून और दांत कुंद कर कर बैठे हैं। बस बहादुरी की तारीफ करो परन्तु अपने अन्दर पैदा मत करो. तो फिर यह ही होगा. हिजडे टाइप के बचे पैदा होंगे. नारियो को हमने दुर्गा की जगह टीवी शो मैं डांसर बना दिया. और बड़े ख़ुशी से उसी का हसयापद्ता से सब देख रहे है. और कोई कुचुपुडी या भरतनाट्यम नहीं आइटम सोंग है. तो इस तरह तो हमारे देश मैं उधाहरण बच्चो के सामने रखे जायंगे. मैं कोई दक्यानुसी और कट्टरपंथी नहीं हूँ और कृपया कर के श्री राम सेना जैसा भी न सोचे. क्यिंकि उसने जो किया उसका विरोध तो संसार के एक भी बुधिजीवी ने नहीं किया परन्तु तरीका हमारी मीडिया को पसंद नहीं आया कारन उसका वो भी जानते नहीं अबे मीडिया वालो न तो आप उनको बोलने देते अपने चंनेलो पर, सारे अखबारों, चैनलो पर पोंगा वामपंथियो ने कब्जा कर रखा है. सड़क पर बंद करते हैं तो आप किसी एक एंबुलेंस मैं बीमार आदमी और उसके रिश्तेदारों का रोना हेडलाइन बना देते हो. तो रक्षा करे भी तो कैसे और जोश मैं मीडिया जिनको सेकुलर और शांतिदूत बताती है, नहीं जानती की ये तो हाथ और पैर काट देते हैं सरे आम सड़क पर पत्थर फ़ेंक फ़ेंक कर मार देते है.
  • हम चाणक्य को भूल गए। उसी ने यवनों से लड़ने के तरीके हमे बताये थे. हमने यदि राष्ट्रपिता उसको बनाया होता तो देश उसके जैसा होता. हमने बाप उसको बनाया जिसकी चादर मैं लाखो छेद थे. आज हमे बनाना (केला) रेपुब्लीक क्यों कहा जाता है. उसी बापू के कारण. अंग्रजी मैं कहावत हैं लईक फादर लईक सन. तो बनगे उसके जैसे. चाणक्य जैसे गुरु होते तो देश विश्वगुरु होता.
  • मीडिया ने तो गुरु बना रखा हैं एक पटना का छिछोरा मास्टर माटउक्नाथ उसको बोलते है लव गुरु। तो फिर यह हिजडो की हिंदुस्तान मैं फोज होगी। हमारे सामने जानबुज कर उद्धरण भी असे ही रखा जाता है और उसको जानबूझ कर महिमामंडित किया जाता है.
  • दूसरा हमे परशुराम नामक एक महान देवता से जानबूझ कर दूर रखा। आप सतयुग त्रेता द्वापर देख लो आप को इसी की महिमा मिलेगी परन्तु सारे संसार मैं एक भी मंदिर दुन्धे न मिले. तंत्र मन्त्र मैं एक श्लोक इनसे सम्बंधित नहीं मिलेगा सब के सब पहले से ही उडा दिया गए हैं. अरे भाई एक देवता था जिसने शास्त्र और शस्त्र एक साथ लेने के लिया कहा था.
  • इतिहास मैं मुख्यधारा मैं मुग़ल रखे गए और अतरिक्त पात्र राणा सांगा, पृथ्वीराज, गोबिंद सिंह को रखा गया। जैसे इस भारत की धरती ने तो शूरवीर पैदा ही नहीं किया. गुंडे और लूटेरे पैदा किया है. इन इतिहासकारों ने हमारी मानसिक नसबंदी की हैं इस इतिहास को लिख कर. इन को सरे आम फँसी पर चढाना चाहिय . आखिर क्रांति भी तो किसी चीज का नाम है. हिंदुस्तान की धरती को इन लोगो ने अपने मानसिक विकृति के वीर्य से हिजडेपन पण के घोल से भारत को कलंकित किया है। जिसने आनेवाली नस्लों को अपनी गोर्वव्नित मुख्यायधरा से काटकर एक सार कटे मुर्गे की तरह बीच चोराहाये पर खडा कर दिया.
  • सब से बड़ा पाप तो हमारा गाँधी को बाप बना कर किया। शस्त्र की जगह चरखा दे दिया. शूरवीरता की जगह कायरता पकडा दी और उस झुन्झाने को अहिंसा का नाम देदिया. मैं कोई लड़ने की बात नहीं कहा रह हूँ परन्तु इस देश की पीढी आज साठ साल के बाद यही मानती है की बिना खड़क बिना ढाल के देश आजाद होगया. सावरकर, सुभाष और भगत सिंह तो पागल थे. संजय दत्त आज गांधीगिरी का ब्रांड अम्बेसडर बन गया. और हम बावले पिल्लै की तरह उसको अपना हीरो बना रहे है.
  • हमने तो अपनी जन्मपत्री तभी लिख ली थी जब नेहरु के रूप मैं एक चरित्रहीँ व्यक्ति को हमने अपना मार्गदर्शक बना दिया। मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्य जैसे को छोड दिया. तो जो बोया हैं वो ही काटो.
  • हम ने नाम अपने बच्चो के राम श्याम अर्जुन और भारत की जगह अपने बच्चो के नाम पप्पू, टिक्कू, पिंट्टू और बंटी जैसे रखे। बेटीओ के नाम पिंकी, टिंकी, चिंकी रखे तो बच्चे कहा से राम श्याम और गार्गी बनेगे. जैसे हम खुद बो रहे है वोही काटेंगे.
  • धोती बंधना आता नहीं, औरते साडियो के लिए ब्यूटी पार्लर जाती है। चोट्टा रखने मैं शर्म आती है। तो फिर विश्व गुरु कैसे बनोगे। मित्रो मैं नहीं कहता की अंग्रेज गलत है या उनकी अंग्रेजी गलत है। परन्तु हाथ मैं चुरी कांटे पकड़ कर, जुबान पर अंग्रजी और शारीर पर पैंट शार्ट पहन कर विश्वगुरु नहीं बना जा सकता। हैं कुछ देर के लिया हंसी का पात्र ही बना जा सकता है। अब भविष्य मित्रो आपके हाथ हैं।
  • ज्योतिष को अंध विश्वाश बताते है। और टेरो कार्ड को विज्ञानं। मैं अपने मित्रो को भी कहूँगा की ज्योतिष कोई अन्धविश्वाश नहीं है यह एक साक्षात् विजान है। तंत्र मन्त्र कोई भील और अदि वासी कृत्या नहीं है।
  • सभी लोग हिन्दू ही जबान नहीं थकती की लखनऊ तहजीब का शहर अब इसी ढकोसले को ढो रहे है। उधर पर तो विश्वश्घा का नंगा नाच हुआ था। आज को जो वो शहर है वो तो हमने बनाया है.
  • जिस देश मैं तक्षिला और नालंदा की जगह जेएनयू जैसे विष की बेल बो दी गई हैवह तो हिजडे और पोंगे ही होंगे।
  • एक बहदुर कोम नेपाल मैं हुई हैं हिन्दुओ के पास परन्तु अपनी मानसिक सन्निपात से उसको भी चोकीदार और पता नहीं क्या क्या कर के अपने ही पैर पर कुल्हाडी मार रहे है। सिख कोम हुई ही हिन्दू रक्षा के नाम पर उसके नापंसुक भांडगिरी मैं भाड़वो की तरह चुटकलों मैं मजाक का पात्र बना बना कर अपना दुश्मन बना रहे हैं. तो अपनी सुरक्षा अपने आप ही ख़तम कर रहे है. तो देश की रक्षा कोन करेगा. तुम्हारा बाप तालिबान तुम्हारी रक्षा करेगा.
  • अटल जी की धोती का मजाक और मुशरफ की शेरवानी की तारीफ़. अदल जी के हाथ जोड़ अबिनंदन का नोटिस नहीं और मुशर्रफ़ के सलाम करने के अंदाज की तारीफ़. तो आपका मित्रो भगवन ही मालीक है.
मित्रो होली का दिन है देश मैं पानी की एक बूंद नहीं है। नदी नाले सूखे पड़े है. रंग न डालना फैशन हो गया. अपनी भावना कुचलती रहे परन्तु दूसरो की भावना का सम्मान करना एक बहुत बड़ी कायरता है. करो पर प्रथम अपनी तो कर लो। यह घोर नपुंसकता है. मैं इसका विरोध करता हु आज के लिया इतना ही . होली की बहुत बहुत शुभकामनाय. क्रमशे

मैं क्यों हिन्दू की बात करता हूँ?

हाँ प्रशन यह भी गंभीर है की मैं हिन्दुओ के बात ही क्यों करता हूँ. निरतर पोंगा सेकुलर और वामपंथी मित्र लिखते रहेते हैं की यह व्यक्ति हिन्दुत्व से पीड़ित हैं पर अपना नहीं बताते किस किस भयानक रोग से वह पीड़ित हैं. चलीय मुद्दे की बात पर आयें। देखिया मैं हिन्दू की बात निम्न लिखित कारणों से करता हूँ.
  • हिन्दू कोई भी गुंडा और सजयाफत और मुजरिम हो कोई भी सजा पाने के बाद हिंदुस्तान को गाली नहीं देता परन्तु आप मुस्लमान को लेले सलमान को ले या अज़रुद्दीन को लेले सभी खा पी लेने के बाद हिन्दुओ के देश हिंदुस्तान को गाली देंगे की अलाप्संक्यक होने के नाते उनेह सताया जा रहा है। अच्छा अपना पंडित सुखराम भी भ्रष्टाचारी है परन्तु हिंदुस्तान को गाली उसने भी नहीं दी। अच्छा राजन पिल्लई जेल मैं मरगया, तेलगी जेल मैं है, हर्षद मेहता भी जेल मैं सड सड कर मर गया उसने भी कभी हिन्दुओ के देश हिंदुस्तान को गली नहीं दी. अच्छा आप नदीम शरवन वाले नादिम मिया को लेलो लन्दन मैं बैठ कर हिंदुस्तान को गाली उसके न्याय को गाली. दाउद ने हिंदुस्तान के न्याय को गाली दी. परन्तु हिन्दू बड़ा बड़ा गुंडा भी न्याय लेते लेते मरगया परन्तु हिंदुस्तान और इसकी न्याय व्यवस्था को गाली उसने भी नहीं दी. मैं हिन्दू गुंडों और अपराधियो की तरफदारी नहीं कर रहो हूँ. न ही मुझे उनसे कोई लगाव ही है. परन्तु मैं मानसिकता पर विश्लेषण कर रहा हु. मुस्लमान को सर की ऊपर ५० साल रखा परन्तु कही भी अपने पाप से फंस गया तो देदी हिन्दुओ के हिंदुस्तान को गाली के हिंदुस्तान मैं अलाप्संक्यको पर अत्याचार हो रहा है.अच्छअ इसाई के केस मैं भी कोई ज्यादा अंतर नहीं वो तो पता लगता ही किसी भी देश मैं शरण लेकर बस बयां ही देता रहता है.तो देखा आपने. तो फिर मैं यदि कहूँ की हिन्दुओ का देश हैं हिंदुस्तान तो क्या बुरा है. देखो अज़रुद्दीन को सारे मुस्लमान उसीको वोट देंगे आप सोच सकते हैं की कोई भी हिन्दू हर्षद मेहता को वोट देता. एसा भी नहीं की कोई अपराधी हिन्दू जीतता भी नहीं जितता होगा परन्तु हिन्दू के नाम पर नहीं पैसे के बल पर. धरम के नाम पर नहीं बहुबल से. अब अजरुद्दीन मैं कांग्रेस मैं क्या दिखा यह तो कांग्रेस ही बता सकती है.
  • क्या कभी किसी भी हिन्दू ने सीना ठोक कर कहा की मैं फला फला विदेशी जासूसी एजेन्सी का एजेंट हूँ परन्तु बुखारी साहब को देखलो आई एस आई का एजेंट है और मस्जिद की तामीर से कह दिया बताओ किसने कुछ उखडलिया। इस चुनाव मैं वीपी सिंह नहीं हैं, नहीं तो बता देते की बुखारी सहभ के चरणों मैं ही वोटो की खान हैं.
  • अच्छा बिना मतलब से दोबारा से मुसलमानों ने लड़ने का बीड़ा उठा लिया ३० हज़ार मस्जिदे कब्ज़ा रखी हैं कोई बात नहीं दो देश बटवारे मैं मिल गए कोई बात नहीं सरस्वती वंदना, वन्दे मातरम नहीं गाना कोई बात नहीं, आरक्षण भी ले लो कोई बात नहीं। परन्तु अब सेना मैं भी अलग से दाड़ी रखने की मांग नमाज की मांग। क्या उचित हैं।
अफजल सहभ अभी बैठे ही है.
देदो भाई इनको राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का पद तो अरक्षित हो ही गया है। सेना अध्यक्ष का भी कर देना फिर एक छोटा सा टुकडा मांगे गे दंगा गरेंगे. उसको भी देना पड़ जायेगा. तो भाई दो मानसिकताओ की वेजह से बटवारा हुआ था वो तो आज भी हैं और लगातार मांग करती जा रही है.
और हम सेकुलारिसम और धर्म्निर्पक्ष्ता और प्रगतिशीलता और विकास की अफीम की गोली लेकर एक लम्बी नींद मैं है.

Saturday, March 7, 2009

दर बदर हिन्दू।

पोंगे प्रगतिशील (स्वम्बू) लोग हिन्दुओ के जख्मो मैं नमक डाल कर उसमें सुई से कुरेद रहे है और यह सब पिछले ६० वर्षो से निरंतेर हो रहा है. क्या कभी किसीने सोचा है एसा क्यों है. नहीं सोचने की जरूरत क्योंकि जिनका शंकराचार्य ही हवालात मैं दिन गिन रहा हो उसका कौन वली वारिस है। अब यहाँ साउदी अरब की तरह कोई सरकार तो है नहीं जो इसे बचाय न ही इसईओ की वेटिकेन सिटी है जो इनके बचाव मैं आये. इनको अमरीका योरोप भी नहीं जंहा इनको नोकरी की गारंटी हो. मुसलमानों की तरह खाडी देश भी नहीं जहाँ इनको नौकरी पर रख लिया जाये. हाँ बचारे धर्मं बचने के चक्कर मैं कहीं चीन के भी हाथ नौकरी नहीं पा पाते. अच्छा भारत मैं शने शंने आरक्षण दिया जा रहा है. नौकरी कहाँ मिलेगी.
अब देखिया स्वं ही की एक छोटे से फिलिस्तीन के लिया १०० से ऊपर देश के मुस्लमान दुखी है। और पचास से ऊपर इसाई देशो को बमों से डरा रखा है. बेचारा अमरीका भी दुखी है. अच्छा लोग कितने है कुछ एक लाख फिलिस्तीन मैं.
अब इधर देखो बटवारे मैं एक करोड़ से ऊपर हिन्दू तबाह हुए। उनकी नसले आज भी दुखी. लाखो बहनों और माँओं ने अपनी इजत गवई वो अलग. घर बहार छोडा वो अलग. अब तो बम गिरे नागासाकी और हिरोशिमा के नसले सुधर गई परन्तु हमारे हिन्दू भाई अभी भी उस सदमा से बहार नहीं आये. उसके बाद भी नेहरू पंडित हैं और गाँधी महात्मा है. है न कमाल का जोक. फिलिस्तीनी लड़े तो यासर अराफात को शांति का नोबल परुस्कार. शमा प्रशाद मुखर्जी लड़े तो मौत. हैं न कमाल.
अच्छा कमाल दूसरा भी है. आप (जो सेकुलर नीचे टिपणी लिख कर हर ब्लॉग के नीचे अपनी सेकुलरईस्ट होने की तनखा की वफादारी निभाते है वो भी) बताएँ की पिछले २००० वर्षो मैं एक भी मानव अधिकार के लिया हिन्दुओ को भी कभी सुरक्षा मिली है.नहीं है तो क्यों? बटवारे मैं हिन्दू पिटे, पाकिस्तान गवाया, बांग्लादेश (१९४७) गवाया. मयन्मार (बर्मा १९३५ मैं), श्री लंका (१९०५ मैं ) अफगानिस्तान (१८९० मैं) गवाया। परन्तु कभी हिन्दुओ के देश गवाए गए वो तो छोडो, उनके वहा पर मानवअधिकारों का भी कोई नाम लेवा पानी देवा नहीं. और आश्चर्य की बात तो यह है की जो सेकुलर होने का ढोंग ढ़ोने वाली भारत सरकार भी अपने भारत्वंशियो की खैर खबर नहीं लेती. डरती है कही मुस्लमान न नाराज हो जाये.
अब बताओ की हिन्दुओ का क्या मानव अधिकार नहीं। चलो यार कोई प्रगतिशील मित्रो पशुअधिकार मैं ही ले लो. तुम्हारे बालो, झोलों, कुर्तो, कलम, लाल किताब के पन्नो, और अखबारों की सिहाई तो इन्ही के पैसो से आती हैं.
चलो भाई पुरानी बाते छोडो कश्मीर मैं तो कोई मानवअधिकार या सरकार इनको बचाओ। श्री लंका और मलयेशिया मैं नहीं कर सकती तो.
तो दोस्तों हिंदुस्तान के बूढे शंकराचार्य को जेल मैं बंद कर रखा है। कोई उसको भी बचाओ. हा कमाल येहे है की डॉ. विनायक सेन को बचाने के लिया इन्होने झारखण्ड के सारे कोएलो मैं से जितनी रोशनाई निकल सकती थी लिख लिख कर सब खर्च कर दी.
हिन्दू बेचारा यहाँ हिंदुस्तान मैं आज छाती ठोक कर भारत माता की जय भी नहीं बोल सकता। नहीं विश्वास तो सड़क पर कर के देखलो. अलोक तोमर की तरह जेल मैं टूस दिया जाओगे सम्पर्दयिकता के नाम पर.
जय बोलनी ही है तो कांग्रेस भैएयो की तरह स्लम डोग की बोलो. वो भी कई करोड़ खर्चे है. परन्तु लाख भी नहीं दे पाय अपनी बाप की चपल, कटोरी और चश्मा बचाने के लिय. जय हो प्रभु जय हो।
अब तो भैया हिन्दुओ के नाक मैं नकेल गिरा कर उस पर चढना बाकि है। अब हंक तो पहले से ही रहे है.
अडवाणी जी ने सही ही कहा था की आपातकाल मैं इंद्रा जी ने हमे झुकने को कहा और हम रेंगने लग गय.

Friday, March 6, 2009

रंगे सियारों का सच।

प्रशन सबसे पहेले येही उठता है की रंगे सियार है कौन? रंगे सियार वो जो -
  • अंग्रजी को हिंदी के ऊपर बैठना चाहते है।
  • पिंक चड्डी फ्री मैं बांटते है।
  • सेकुलारिसम से पीड़ित है।
  • धर्मं और पंथ मैं अंतर न करना जानते है।
  • हर भारतीय जीत या कोई भी हिंदुस्तान का त्यौहार हो उसके तुंरत बाद नमाज पढ़ते मुस्लमान का अख़बार मैं छपने वाले लोग। (पता नहीं इन अख़बार वालो को कौन बता ता है की यह हिंदुस्तान मैं शांति और अमन के लिया दुआ कर रहे है। परन्तु हर त्यौहार के बाद एक मुस्लमान का नमाज पढता हुआ फोटो साथ मैं कैप्शन के साथ हिंदुस्तान और दुनिया मैं अमन के लिया दुआ मांगता एक नमाजी। आज तक मैं एक भी फोटो नहीं देखि जब कोई किसी पंडित की आरती करते हुए कप्शन के साथ छापी हो के शांति के लिया आरती करता एक हिन्दू. हिन्दू करता हैं अपने लिया लक्ष्मी और समृधि के लिया और मुस्लमान पूरी दुनिया मैं शांति के लिया. हा पुरे विशव मैं शांति सिर्फ मुस्लमान ही तो रख पा रहे हैं बाकि सबतो राक्षश है.
  • ये झोले लटकाए भइये, जेएनयू की लाल किताबी, मीडिया मैं घुसपैठी, स्वम्भू प्रगतिशील और देश तोड़क लोग। ब्रेकिंग न्यूज़ चलने वाले छुटभइये पत्रकार जिनको पटना के छिछोरे पूर्व मास्टर मैं लव गुरु नजर आता हैं. हर बहस मैं उसके विचार जरूर रखे जाते है. जिनको नारी क्रांति के रूप मैं एक फिजा मिली है. जैसे राँझा चंदर मोहन बस अभी इसी युग मैं जनम लेचुका. बेहेस मैं जगह भरने के लिया पत्रकर, लेखक, प्रोफेसर, कोई हो जिसको निष्पक्ष दिखाना हो तो सिर्फ और सिर्फ जेएनयू सम्बंधित विचारधारा के झोले छाप लोग ही पकडेंगे.
  • एक जमात जिसका अब समय गया जिसको खुद नहीं पता की अब वो पुराने ज़माने की वास्तु होगया। अरे यार वो ही लाल रंग से लाल किताब की नक़ल कर कर लाल लाल होकर (भारत सरकार का खा खा कर) लाल झंडो से. लाल बंदरो की तरह उत्पात मचाते. विशष रूप से हिन्दुओ को गाली देते. फिजूल क्रांति की तोता रट लगाते. क्रांति क्रांति करते कान्ति लाल की गोद मैं बैठ कर कुछ एक अख़बार (जो की अपनी आखरी साँस ले रहे है) कुछ एक न्यूज़ चैनल (जो की अब अमेरिका की गोद मैं बैठे है) मैं पत्रकरीता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ होठो और जबान मैं खून का दौरा दुरुस्त कर रहे है.
  • भगवा गुंडे शब्द को इजाद करने वाले कलम के क्रांतिवीर असल मैं हाई ब्रीड नसल के प्राणी।
  • स्लम डोग पर स्लम और डोग के बीच भी न जगह मिलने वाले।
  • एक नई डिक्शनेरी (शब्दकोष) बनाने वाले लोग जिसमे हिन्दू से जुड़े हर शब्द को गाली बना ने का ही कार्य होगा।

यह सभी गलती और दुर्भाग्य से भारत की पावन धरती पर जनम लेकर हिन्दुओ और हिंदुस्तान को रात दिन गली देकर उनको दोयाम दर्जे का घोषित करने मैं दिन रात रत रहेने वाले लोग रंगे सियार कहलाते है। इन का सच क्या है इन का सच उस प्रकार है.

जिस प्रकार एक लोमडी होती है उसकी बकरी मित्र होती है। लोमडी का बकरी और उसके बच्चे खाने का मन होता है परन्तु बकरी के सींग देख कर डर जाती है तो रोजाना येन केन प्रकाण उसके सिंग तोड़ने का प्लान बनाती है. हमेशा तारीफ़ करती है देखो बहिन शेर हाथी घोड़ा सब ताकतवर होते है परन्तु किसीका सिंग नहीं होते परन्तु गाए, बैल, भैंस जो डरपोक होती हैं सभी के सिंग होते है. अब रोज यही दोहराते रहेना. दिन रात इसी बात पर जोर देना के सिंग तो पिछडेपन की निशानी होते है. एक दिन बकरी अपने और अपने बच्चो के मजबूत सिंग इसी रोज रोज की भुलावा मैं आकार तोड़ देती हैं. जैसे ही तोड़ती है. अपनी रक्षा का हतियार गवां बैठती है. तभी लोमडी और उसके बच्चे बकरी और उसके पुरे परिवार का सफाया करदेती है और मुह पर लगा खून साफ करते हुए अपनी बुधि और एक ही झूट को दोहराने की सफलता पर नाज़ करते हुए किसी दुसरे शिकार की तरफ चल पड़ती है.

इसी प्रकार ये झोला छाप हमारी हर अच्छई को एक अलग अंदाज मैं पेश करकर हमे ही हमारे ही देश मैं हमे ही गाली देती रहते है।

अब इसके बाद रंगे सियार मुझे अपनी टिपनिया उसी रूप मैं न भेजे विशष रूप से हिंदुत्व को गाली देनेवाले। वो बकरी थी जो शिकार होगई हम लोमडी को पहेचान चुके है। अब तो लोमडी का ही शिकार होगा।

हिन्दुओ के वेदों को गडेरियो के गीत बताने वालो के दिन हवा होगय।

प्रगतिशीलता (झूटी) और सेक्लुरिसम (सूडो) से पीडितो को मेरी भावः भीनी श्रधांजलि.

Tuesday, March 3, 2009

हिन्दुओ का अधिकार भारत पर क्यों?

यह भी एक महत्यपूर्ण प्रशन हैं की हिन्दुओ का भारत पर अधिकार क्यों? क्यों नहीं और धरम वाले हिंदुस्तान पर अपना अधिकार बना सकते? हाँ रहे जरूर सकते हैं परन्तु जब अधिकार की बात है तो जबरदस्ती वाली बात होगी की किसीका भी अधिकार हिन्दुओ से ज्यादा है। हमे भुलावे मैं रखने की साजिश है इस से ज्यादा कुछ नहीं। जिस प्रकार वेटिकेन पर हिन्दू का अधिकार नहीं। अरब मैं हिन्दू का अधिकार नहीं। उसी प्रकार भारत मैं हिन्दुओ के अलावा अधिकार किसीका नहीं पर रहे सब सकते हैं। इसी को लोकतंत्र कहते है और इसी को न्याय कहेते है। और जायज भी येही है.
  • हिंदुस्तान का बटवारा सिर्फ इसी बात पर हुआ था की हम मुसलमानों के रीती रिवाज धरम अलग है हम हिन्दुओ के साथ नहीं रहे सकते हमे अलग देश दिया जाय। और इस प्रकार मिल भी गए एक नहीं दो देश. अब तो हिन्दुओ को शांति से जीने दो. हिन्दुओ ने देश नहीं माँगा था उसे येहे हिंदुस्तान कट कटा कर मिला था. और जो मिला उसे इसने अपने खून पसीने से सींचा.
  • हिन्दू संसार मैं एक मात्र कौम है जो जहा भी जाती है उसी देश के कानूनों का पालन करती है। परन्तु उसके देश भारत मैं जो भी आता है अपने ही धर्म रीती रिवाज और कानून का पालन करता है. उसी को ये वंम्पंथी देश तोड़क कहते है की हिंदुस्तान मैं जगह जगह अलग अलग रीती रिवाज है इसलिय सामान आचार सहिंता भी लागु नहीं हो सकती. होगी भी कैसे हिन्दू ने कभी भी नहीं सोचा था के वंम्पन्थियो और मुसलमानों की तरह कबीले बना बना कर भी रहना होगा.
  • १०० करोड़ हिन्दुओ का टैक्स दिया जाता है। जिस से हिंदुस्तान १० प्रतिशत विकास दर की बात सारे विश्व मैं सीना ठोक कर कहता है.
  • हिन्दुओ के मंदिर मैं चढा पैसा पूरा हिंदुस्तान खता है। पशु से लेकर इन्सान तक. उसी की रोटी के टूकडे से लोग हज या कही और जाते है. सब्सिडी के नाम पर हिन्दुओ के ही टैक्स और मंदिरों का चढावा खाया जाता है.उसी पैसे मैं से मानमोहन या कांग्रेस मदरसों मैं कंप्यूटर खरीदने की बात करती है. उसी खून पसीने की कमाई को बफोर्से मैं उडाया जाता है. उसी पैसे से भारत निर्माण कराया जा रहा है. किसी मुस्लमान और इसाई का पैसा देश निर्माण मैं नहीं लगता उनका पैसा या तो वाटिकन सिटी मैं लगता है या फिर मस्जिद मदरसे बनते हैं. और बाकि सब तो ढोंग है. इसिलिया हिन्दुओ का देश पर अधिकार है. इसिलिया हिन्दुओ की आत्मा दुखती है जब भारत माता को चोट लगती है. बाकि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता.
  • राम की अयोध्या यहाँ है। कृष्ण की द्वारका यहाँ है. मथुरा, कैलाश यह है. स्वर्ण मदिर यहाँ है. पार्शवनाथ यहाँ है. गंगा यमुना कावेरी, यहाँ है. इसिलिया हिन्दू यहाँ है.
  • कुरुक्षेत्र यहाँ काशी यहाँ, जनम यहाँ मरण यहाँ। कही बहार जाकर पूजा नहीं करनी मोक्ष यहाँ. इसीलिय हिन्दू यहाँ.
  • किसी गाँधी ने इस देश को आजादी नहीं दिलाई, तिल तिल अपना खून वीर सावरकर, सुभाष चंद्र और भगत सिंह ने बहा था। उन होने दिलाई थी आजादी . और उस से भी पहेले बंदा की शमशीर चली थी. गुरु गोबिंद सिंह के बच्चे शहीद हुए थे जब हम आजाद हुए थे. पहेले मुगलों से फिर अंग्रेजो से. इसिलिया हिंदुस्तान हमारी रग रग मैं हैं.
  • हिंदुस्तान की हर भाषा संस्कृत से पैदा हुई किसी अरब या लैटिन अमरीका से नहीं। हम जो बोलते है वो इस धरती का बीज बनकर हमारी जुबान पर तैरता है.
रहो सब यहाँ पर परन्तु हमे हमारे ही देश मैं गाली मत दो । रहो तो अपना दिल रसखान और बहिन निवेदिता सा कर कर. रहो यहाँ दूध मैं चीनी की तरह. दूध मैं निम्बू मत बनो.
हमारी बात हिंदुस्तान तक नहीं हम बात करते हैं
वसुधा कुटम्बकम। और शांति विश्व की. ॐ।

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